BA Semester-2 - Economics-Macro Economics - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2714
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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

अध्याय - 3
राष्ट्रीय आय लेखांकन एवं कुछ आधारभूत अवधारणाएँ
(National Income Accounting and Some Basic Concepts)

 

राष्ट्रीय आय लेखांकन वह रीति है जिसकी सहायता से सामूहिक आर्थिक क्रियाओं का ज्ञान तथा मापन किया जाता है। वास्तव में राष्ट्रीय आय एक सांख्यिकीय लेखा-जोखा है जिसमें किसी देश के आय, उत्पादन, सामाजिक व राजनीतिक अंकगणित को इस प्रकार व्यक्त किया जाता है कि अर्थ व्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अन्तः संबंधों को स्पष्ट करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हों। यह लेखांकन सम्पूर्ण अर्थ व्यवस्था को समझने में सहायक होता है। इस प्रकार राष्ट्रीय आय लेखा किसी अर्थ व्यवस्था के आर्थिक ढाँचे के अध्ययन के सिवाय और कुछ नहीं है। यह मुख्यतः पाँच प्रकार का होता है— 1. पारिवारिक क्षेत्र का लेखांकन, 2. सरकारी क्षेत्र का लेखांकन, 3. उत्पादन क्षेत्र का लेखांकन, 4. पूंजी क्षेत्र का लेखांकन तथा 5. पूँजी क्षेत्र का लेखांकन।

राष्ट्रीय आय लेखांकन का अर्थव्यवस्था में काफी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इससे हमें राज्य की आर्थिक संरचना, आधारभूत तत्वों, जीवन स्तर व्यापारिक लेन- देन, वितरण व्यवस्था का स्पष्ट ज्ञान होता है। साथ ही साथ यह उत्पादकों, श्रमिक संघों तथा अन्तराष्ट्रीय क्षेत्र के लिए भी महत्त्वपूर्ण होती है। यह सरकारी नीतियों के मूल्यांकन तथा खोज एवं शोध के क्षेत्र में भी काफी उपयोगी होती है। परन्तु राष्ट्रीय का लेखांकन एक सीधा एवं सरल नहीं होता। इसकी गणना में अनेक व्यक्ति की पूँजी की आती है। दोहरी गणना काफी जटिल होती है, सेवाओं का मापन भी आसान नहीं होता मूल्य ह्रास के मापने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परिवार क्षेत्र तथा उत्पादन क्षेत्र के उपलब्ध आँकड़े भी विश्वसनीय नहीं होते। आय एवं उत्पादन के चक्रीय प्रवाह का प्रारम्भ सर्वप्रथम प्रकृतिवादी अर्थशास्त्रियों द्वारा किया गया था। वास्तव में आय का चक्रीय प्रवाह तथा उत्पादन का चक्रीय प्रवाह एक ऐसी अवधारणा है जिसमें किसी अर्थ व्यवस्था की राष्ट्रीय आय चक्रीय रूप में अनवरत प्रभावित होती रहती है। यह प्रवाह परिवार क्षेत्र तथा उत्पादन क्षेत्र के मध्य अनवरत रूप से चलता रहता है आय तथा व्यय के चक्रीय प्रवाह को समझना वास्तव में इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि इसी से किसी अर्थ व्यवस्था की सही-सही जानकारी प्राप्त होती है। इस चक्रीय प्रवाह में रिसाव ही बचत होता है। अतः इससे चक्रीय प्रवाह में जितनी बचत की जायेगी उतनी ही कमी होगी यद्यपि फर्म वित्तीय बाजारों में बचत का उपयोग करके इसे निवेश में परिवर्तित कर सकता है। इस प्रकार निवेश चक्रीय प्रवाह में इस प्रवाह को भरने का इंजेक्शन है।

वित्तीय बाजार में ब्याज दर में कमी अथवा वृद्धि के द्वारा बचत के बराबर निवेश होने से चक्रीय प्रवाह अनवरत रूप से चलता रहता है परिणामतः बचत निवेश से सम्पूर्ण अर्थ व्यवस्था में संतुलन बना रहता है जिसके कारण राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय व्यय बराबर हो जाते हैं। सामाजिक लेखांकन वह विधि है जिसकी सहायता से सामूहिक आर्थिक क्रियाओं को समझा तथा मापा जाता है। वास्तव में सामाजिक लेखांकन मानव तथा मानकीय संस्थाओं की क्रियाओं के सांख्यिकीय वर्गीकरण से इस प्रकार से संबंधित है जिससे कि सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की कार्य प्रणाली को ठीक-ठीक समझा जा सके। इस पद्धति के अध्ययन क्षेत्र में आर्थिक क्रिया के केवल सांख्यिकीय वर्गीकरण को ही सम्मिलित नहीं किया जाता बल्कि अर्थव्यवस्था के विश्लेषण के लिए एकत्रित जानकारी के प्रयोग को भी शामिल किया जाता है। अतः सामाजिक लेखांकन का अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह पारस्परिक संबंधों को स्पष्ट करते हुए अर्थव्यवस्था के विश्लेषण को एक ढाँचा प्रदान करता है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • वह सांख्यिकीय लेखा-जोखा है जिसमें किसी देश के आय, उत्पाद, सामाजिक एवं राजनैतिक अंकगणित को इस प्रकार व्यक्त किया जाएँ कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न अंतर्संबंधों को स्पष्ट करने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो। यही राष्ट्रीय आय लेखांकन कहलाता है।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति को समझने में सहायक होता है। सामान्य शब्दों में राष्ट्रीय आय लेखांकन किसी अर्थव्यवस्था के आर्थिक ढाँचें की रीति के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
  • प्रो. फ्रैंक जान के अनुसार "राष्ट्रीय आय लेखांकन वह रीति है जिसकी सहायता से सामूहिक आर्थिक क्रियाओं का ज्ञान तथा मापन किया जाता है।"
  • किसी परिवार द्वारा किए गए आय-व्यय के ब्यौरों का समावेश जिन लेखों में किया जाता है; वो परिवार क्षेत्र के लेखांकन कहलाते हैं।
  • परिवार क्षेत्र के लेखांकन में दो कालम होते हैं पहला भुगतान तथा दूसरा प्राप्तियाँ।
  • वर्तमान समय में सरकारी क्षेत्र का लेखांकन भी काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा उपभोग एवं उत्पादक दोनों की ही भूमिका का निर्वाह हो रहा है। अतः
  • आर्थिक क्षेत्र में इसका काफी बड़ा रूप प्रकट हो रहा है।
  • सरकारी क्षेत्र में लेखांकन के दो कालम होते हैं जिसमें बाँयीं ओर भुगतान तथा दायीं ओर प्राप्तियों को प्रदर्शित किया जाता है।
  • उत्पादन के क्षेत्र में लेखांकन से आशय उस लेखा-जोख से है जो उत्पादन क्षेत्र के आय एवं व्यय के लिए तैयार किया जाता है।
  • किसी भी अर्थव्यवस्था में पूँजी क्षेत्र का लेखांकन विशेष महत्त्व रखता है, इसके भुगतान एवं प्राप्तियों के स्थान पर बचत एवं विनियोग शामिल किया जाता है।
  • जिस लेखांकन में किसी देश के आयातों एवं निर्यातों का समावेश होता है, वे विदेशी क्षेत्र के लेखांकन कहलाते हैं।
  • एक उत्पादन राष्ट्रीय आय लेखांकन की सहायता से वास्तविक उत्पादन स्थिति ज्ञात हो जाती है जिससे वह अपनी स्थिति का मूल्यांकन कर सके।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन से यह पता चलता है कि श्रमिकों का उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन में कितना योगदान है तथा वे राष्ट्र से कितने प्रतिशत अंश के रूप में प्राप्त कर रहे हैं।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन की सहायता के सरकारी नीतियों का मूल्यांकन आसानी से हो जाता है। राष्ट्रीय आय लेखांकन में गणना में कठिनाई होती है क्योंकि उत्पादन क्षेत्र की उत्पादित वस्तुएँ प्रायामिक मध्यवर्ती एवं अंतिम होती हैं जिनके उपभोग भी होते हैं।
  • प्रत्येक अर्थव्यवस्था में कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनका मापन मुद्रा में नहीं किया जाता है। जैसे महिला द्वारा घरेलू सेवा, अपाहिज व्यक्ति की सेवा तथा किसानों द्वारा उत्पादित सब्जियों, आदि।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन लेखों की अपूर्णता की एक कठिनाई है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में सही ज्ञान नहीं हो पाता है।
  • आगत- निर्गत विश्लेषण से औद्योगिक अतः सम्बन्ध का पता चलता है।
  • किसी एक उद्योग के आगत दूसरे उद्योग का निर्गत होता है।
  • विभिन्न उद्योगों के बीच वस्तुओं के प्रवाह, भवर तथा विपरीत धाराओं की भाँति होते हैं।
  • राष्ट्रीय आय लेखों का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था से होता है।
  • सामाजिक लेखांकन विधि का प्रतिपादन प्रो. रिचर्ड स्टोन ने किया है।
  • राष्ट्रीय आय की आधुनिक विधि सामाजिक लेखांकन है।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन की प्रमुख कठिनाइयाँ अपूर्ण लेखांकन, मुद्रा माप न होने की कठिनाइयाँ, दोहरी गणना की समस्या आदि है।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन का महत्त्व जीवन स्तर का ज्ञान, वितरण व्यवस्था का ज्ञान तथा श्रमिक संघों की उपायदेयता है।
  • स्टाक बाजार कम्पनियाँ तथा औद्योगिक इकाइयाँ जहाँ दीर्घकालीन वित्तीय व्यवस्था करती है, स्टाक बाजार कहलाती है।
  • राष्ट्रीय आय एवं उत्पादन के चक्रीय प्रवाह की प्रमुख सीमाएँ अमौद्रिक सौदों के समावेश की कठिनता, पारस्परिक लेन-देन, स्थम उपभोग का रिसाव है।
  • रिसाव तथा अन्तः शोषण आय के चक्राकार प्रवाह की लिप्तता तथा तटस्थता प्रभाव, घनात्मक एवं ऋणात्मक प्रभाव होते हैं।
  • चार क्षेत्रक खुली अर्थव्यवस्था में समग्र व्यय के संघटक बचत निवेश, सरकारी क्षेत्र, विदेशी क्षेत्र में शामिल होता है।
  • किण्डल वर्जर अनुसार - "एक देश का भुगतान शेष इसके निवासियों तथा अन्य देशों के निवासियों के बीच सभी आर्थिक लेन-देन का सुव्यवस्थित लेखा है।
  • .प्रो. सोडस्टर्न के अनुसार "भुगतान शेषं एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय लेन-देन में प्राप्तियों तथा भुगतानों को दर्ज करने का एक मात्र तरीका है।
  • प्रो. किण्डल वर्गर के अनुसार - "एक देश का भुगतान शेष उसके निवासियों तथा अन्य देशों के निवासियों के बीच सभी आर्थिक लेन-देन का एक सुव्यवस्थित लेखा है।
  • .यदि प्रति व्यक्ति आय पर ध्यान न दिया जाये तो राष्ट्रीय आय आर्थिक कल्याण का विश्वासनीय सूचकांक नहीं माना जा सकता। यह कथन सत्य है।
  • निधियों के प्रवाह लेखें, पूँजी बाजार व्यवहार के विस्तृत विश्लेषण के लिए आवश्यक कच्चे पदार्थ हैं। कथन सत्य है।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन वह रीति है जिसकी सहायता से सामूहिक क्रियाओं का ज्ञान तथा मापन किया जाता है।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन में परिवार क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र, उत्पादन पूँजी, सभी शामिल हैं।
  • प्रो. मार्शल ने आर्थिक कल्याण तथा राष्ट्रीय आय में घनिष्ट सम्बन्ध पाया है।
  • राष्ट्रीय आय के आधार में परिवर्तन घनात्मक व ऋणात्मक दोनों प्रकार का होता है।
  • भुगतान को सरकारी क्षेत्र के लेखांकन में बायीं ओर के कालम में प्रदर्शित किया जाता है।
  • पूँजी क्षेत्र के लेखांकन में भुगतान एवं प्राप्तियों के स्थान पर बचत एवं विनियोग को शामिल किया जाता है।
  • सरकारी क्षेत्र के लेखांकन पर वर्तमान समय में सरकार का भविष्य पर निर्भर करती है।
  • राष्ट्रीय लेखांकन का महत्त्व आर्थिक संरचना का ज्ञान आधारभूत तत्वों का ज्ञान, व्यापारिक देन का ज्ञान, है।
  • राष्ट्रीय आय लेखांकन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह उत्पादों के लिए उपयोगी, खोज एवं शोध का विषय है।
  • बचत एवं विनियोग का लेखा, पूँजी क्षेत्र का लेखांकन है।
  • परिवार के आय व्यय का ब्यौरा परिवारिक क्षेत्र का लेखांकन है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macro Economics)
  2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 राष्ट्रीय आय एवं सम्बन्धित समाहार (National Income and Related Aggregates)
  5. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 राष्ट्रीय आय लेखांकन एवं कुछ आधारभूत अवधारणाएँ (National Income Accounting and Some Basic Concepts)
  8. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 राष्ट्रीय आय मापन की विधियाँ (Methods of National Income Measurement)
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income)
  14. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 हरित लेखांकन (Green Accounting)
  17. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त (The Classical Theory of Employment)
  20. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (Keynesian Theory of Employment)
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 उपभोग फलन (Consumption Function)
  26. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 विनियोग गुणक (Investment Multiplier)
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 निवेश एवं निवेश फलन(Investment and Investment Function)
  32. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 बचत तथा निवेश साम्य (Saving and Investment Equilibrium)
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 त्वरक सिद्धान्त (Principle of Accelerator)
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 ब्याज का प्रतिष्ठित, नव-प्रतिष्ठित एवं कीन्सीयन सिद्धान्त (Classical, Neo-classical and Keynesian Theories of Interest)
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  42. उत्तरमाला
  43. अध्याय - 15 ब्याज का आधुनिक सिद्धान्त (IS-LM व्याख्या) Modern Theory of Interest (IS-LM Analysis )
  44. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  45. उत्तरमाला
  46. अध्याय - 16 मुद्रास्फीति की अवधारणा एवं सिद्धान्त (Concept and Theory of Inflation)
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 17 फिलिप वक्र (Philips Curve)
  50. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  51. उत्तरमाला

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